जमीन रजिस्ट्री वालों के लिए बड़ी मुसीबत इन डॉक्यूमेंट के बिना नहीं होगी जमीन रजिस्ट्री नया नियम लागू। Jameen Registry New Rule

Jameen Registry New Rule: भारत में ज़मीन या संपत्ति का लेन-देन एक गंभीर और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। जब कोई व्यक्ति किसी ज़मीन या प्लॉट को खरीदता है, तो केवल भुगतान करना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उस संपत्ति का कानूनी पंजीकरण कराना भी अनिवार्य होता है पर्याप्त नहीं होता, बल्कि संपत्ति का विधिवत पंजीकरण यानी रजिस्ट्री कराना भी अत्यंत आवश्यक होता है। यह रजिस्ट्री ही आगे चलकर उस व्यक्ति को ज़मीन का वैध मालिक होने का कानूनी अधिकार देती है अगर आप भी ज़मीन खरीदने या बेचने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी है। इसमें बताया गया है कि ज़मीन की रजिस्ट्री के लिए किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, प्रक्रिया क्या है, और किन सावधानियों का पालन करना चाहिए।

जमीन रजिस्ट्री के लिए आवश्यक दस्तावेज

विक्रेता को जिन दस्तावेजों की जरूरत होती है।

1. खसरा/खतौनी/खाता प्रमाण पत्र – ज़मीन पर स्वामित्व का प्रमाण।

2. टाइटल डीड की प्रति – पहले की रजिस्ट्री का रिकॉर्ड।

3. भू-राजस्व या संपत्ति कर की रसीद – कर भुगतान का प्रमाण।

4. NOC – अगर कृषि भूमि का उपयोग बदला गया हो।

5. पहचान प्रमाण – आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो और हस्ताक्षर।

खरीदार को जिन दस्तावेजों की जरूरत होती है।

• आधार कार्ड और पैन कार्ड

• निवास प्रमाण (जैसे बिजली बिल या राशन कार्ड)

• पासपोर्ट साइज़ फोटो

• बैंक खाता जानकारी (यदि ऑनलाइन पेमेंट हो)

जमीन रजिस्ट्री के लिए जरूरी दस्तावेज

• बिक्री अनुबंध पत्र (Sale Agreement)

• रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी की रसीद

• गवाहों की पहचान प्रमाण

• ज़मीन का नक्शा (यदि प्लॉट हो)

• ई-स्टांप पेपर (यदि राज्य में अनिवार्य हो)

जमीन रजिस्ट्री करने की पूर्ण प्रक्रिया

1. बिक्री अनुबंध तैयार करना:
विक्रेता और खरीदार के बीच कीमत, भुगतान शर्तें, स्थान आदि के आधार पर समझौता पत्र तैयार होता है।

2. स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान:
राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क जमा करना होता है।

3. सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दस्तावेज जमा करना:
दोनों पक्षों को गवाहों के साथ संबंधित दस्तावेज लेकर रजिस्ट्रार कार्यालय जाना होता है।

4. बायोमैट्रिक प्रक्रिया और सत्यापन:
फिंगरप्रिंट, फोटो और दस्तावेजों का डिजिटल सत्यापन किया जाता है।

5. पंजीकरण और दस्तावेज की प्राप्ति:
प्रक्रिया पूरी होने के बाद खरीदार को रजिस्टर्ड डीड की कॉपी मिलती है, जो भविष्य में कानूनी स्वामित्व का प्रमाण बनती है।

जमीन रजिस्ट्री को लेकर खास सावधानियां बरतनी हैं।

ज़मीन पर कोई कानूनी विवाद, लोन या मुकदमा न हो, इसकी जांच करें।

भूमि रिकॉर्ड पोर्टल (जैसे Bhulekh या Dharani) पर ज़मीन की स्थिति जांचें।

ज़मीन का ज़ोन (कृषि, आवासीय, व्यावसायिक) स्पष्ट करें।

बिचौलिए से लेन-देन करते समय सभी दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच करें।

राज्य अनुसार रजिस्ट्री शुल्क की जानकारी संबंधित सरकारी वेबसाइट से प्राप्त करें।

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